आज दैनिक जागरण में मुख्यमंत्री जी का statement पड़ा
“अभी सियासत नहीं अभी पानी और हरियाली की बात कीजिए”
आप राजा नहीं चुने हुए मुख्यमंत्री हैं अगर राजा होते तो हो सकता है हम वह गाना गा लेते
“जो तुमको हो पसंद वही बात कहेंगे तुम दिन को कहो रात तो रात कहेंगे”
पर यहां शासक नहीं संविधान राज करता है तो सवाल तो पूछेंगे कि अचानक से हरियाली खत्म हो गई या पानी घट गया ? या यह धीरे-धीरे हुआ !!!!!! पिछले 15 सालों से घटना घट रही थी
अगर धीरे-धीरे 15 सालों से यह घट रही थी और आज इस ने विकराल रूप ले लिया है ,तो आप आज राजनीति कर रहे हैं या हरियाली की चिंता ?
अबकी अगर ई राजा या ये आदमी जो भी है को नहीं हटाइयेगा तो माफी योग्य भी नहीं बचिएगा…..प्रजातन्त्र है जो जनता से है और गलत को लगातार चुनियेगा तो दोषी वहीं है जो बार बार चुन रहा है
रोजगार की बात छोड़ ही दीजिए
गजब ,एकदम सही पकड़े
नितीश कुमार जी का ऑप्शन कौन है???
नौटंकी है
भारत सरकार की हरियाली योजना के अंतर्गत 400 से अधिक प्रोजेक्ट बीच में ही बंद हो गए क्योंकि राज्य सरकार के अधिकारियों ने 2nd किश्त के लिए समय से प्रपोजल ही नहीं भेजा या भेजा भी तो आधा अधूरा ।करोड़ो की रकम से बिहार वंचित हो गया ।