इफ्तार में ” मुसलमान खोजिए प्रतियोगिता ” 😆😆😆😆😆
और एक बात जो मुसलमान हैं उसके सर पे टोपी या गमछा नहीं हैं, मुसलमान भाइयों इसे कहते हैं “टोपी पहनाना”, वोट का आधार सिर्फ काम और विचार होने चाहिए दिखावा या symbolism नहीं, जिस दिन ये हो गया secularism सही मायने में आ जाएगा इस देश में ।
