क्या किसी ने सोचा हैं बिहार के गावों में विधवाओं की संख्या कितनी बड़ रही हैं ?
बेइज्जती वाली मौत चाहे वो भुख से हो, कोविड के विस्थापन से हो , आतंकवादी की गोली से, आग में जल के हो या जैसे भी होगी बिहारियों की ।
और हमारे मुख्यमंत्री में कोई बेचैनी नहीं, बिहारियों ने भी इसे नियति मान लिया हैं
कोई नहीं…
