माननीय मुख्यमंत्री कहते हैं हौसला बनाए रखिए
वह कहते हैं कि हमें हमेशा पॉजिटिव सोचना चाहिए
चलिए आज पॉजिटिव सोचते हैं.
नेगेटिव में यह भूल जाते हैं कि हमारे सरकारी अधिकारी जिन्होंने जिंदगी भर तनख्वाह ली और आगे पेंशन भी लेंगे पर उन्होंने काम की जिम्मेदारी नहीं निभाई.
हमने जिन्हें चुना उन्होंने भी अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई.
इन सब बातों को छोड़कर हम लोग पॉजिटिव बातें करेंगे.
आइए पॉजिटिव बातें करें
कंकड़बाग में सबसे ज्यादा दवाई की दुकानें डूब गई है यानी कि मैक्सिमम स्टॉक खराब हो गया होगा इनमें से बहुत सारी दुकान है बैंक लोन पर होंगी अब इसमें पॉजिटिव क्या है
पॉजिटिव है नए दुकानदार आएंगे पुराने के घर द्वार बिक जायेंगे रोजगार का सृजन होगा या कहे तो ट्रांसफर होगा : स्टैंड अप इंडिया
पता नहीं कितने डॉक्टर के इक्विपमेंट्स खराब होंगे, इन सब की रिकवरी होगी पेशेंट से, ecosystem है भाई
कपड़ों की दुकान है, इंश्योरेंस मिलेगा नहीं क्योंकि एक्ट ऑफ गॉड है
अब इसमें पॉजिटिव खोजें.
सबसे ज्यादा अब युवाओं के लिए मौका है गैरेज खोलिए क्योंकि इंश्योरेंस का क्लेम मिलेगा नहीं और इतनी सारी गाड़ियां बर्बाद हुई है यह समय सही मौका है बिहार के पटना में नया गैरेज खोलने का
मुझे पूरी उम्मीद है मुख्यमंत्री 2- 4 गैरेज का उदघाटन करेंगे
उसने भी पॉजिटिव है बहुत सारे कार का EMI फेल होगा लोगों के CIBIL खराब होंगे
इसमें भी पॉजिटिव खोजिए
फर्नीचर की दुकान और पेंट की दुकानों का भी बिजनेस बढ़ जाएगा
बहुत सी फर्नीचर की दुकानें नष्ट हुई है अब नई दुकान खुलेंगे
क्योंकि लगभग फर्नीचर तो हर एक घर का नाश हुआ है, इससे फर्नीचर का सेल लगभग 2 गुना हो जाएगा
अब और ज्यादा लोग बिहार से बाहर पलायन करेंगे काम करने के लिए और जो युवा लौट कर आए हैं वह तो निश्चित रूप से बाहर जाएंगे, पॉजिटिव सोचिए कितना resource बच गया और कितना पैसे का inflow होगा
हर जगह पॉजिटिविटी है खोजिए
हौसला बनाए रखिए क्योंकि हो सकता है आपके बच्चों की किताब है नष्ट हो गई हो हौसला बनाए रखिए नया खरीदिए ,अगर इस साल नहीं खरीद पाए तो अगले साल खरीद लीजिएगा, 1 साल बच्चे को बिठा दीजिए मगर हौसला मत छोड़िए गा
हौसला मत छोड़िए गा क्योंकि उसके अलावा आपके पास कुछ नहीं है, और आपके पास "कोई नहीं है" के हौसले के अलावा
15 साल लालू राज में और 15 साल नितीश जी सुसासन में ,कुल 30 साल हो गए हौसला रखते हुए , दिनोंदिन इन्होंने (राजनेताओं ने) बिहार को सिर्फ गर्त में ही पहुँचाया हैं …. इनपर भरोसा था लेकिन इनको कुछ चाटुकारों के साथ उच्चस्तरीय बैठक से पिछले 15 सालों से अब तक फुर्सत न मिली । अब जनता के ऊपर हैं – और बाढ़ से डूबना हैं या जात-पात की राजनीती से ऊपर उठकर सिर्फ “बिहार के विकास के लिए” के लिए वोट करना हैं ।
जी सही बात है।