लोकतंत्र में तंत्र लोक पे हावी नहीं हो सकता, बिहार का दुर्भाग्य है की पिछले कई दशकों से विधायिका और कार्यपालिका में balance नही रहा कभी कार्यपालिका पे विधायिका हावी तो आज उलट।
अब हमारा लोकतंत्र 75 साल का हैं, सोचिए vote से आगे क्या ?
कैसे तंत्र को responsive और accountable बनाया जाए ?
उपाय हैं…
