साथियों सर्वप्रथम में आज जो लिखने जा रहा हूं उसके लिए पहले ही माफी मांग लेता हूं,
अगर किसी हिंदूवादी, जातिवादी व्यक्ति को चोट लगे तो मुझे माफ करेंगे
पर मेरा धर्म मुझे इतनी आजादी देता है कि मैं कैसा भी " प्रश्न" खड़ा कर सकूं
कम से कम इतनी आजादी दुनिया के किसी धर्म में नहीं है
इस बात को भी ध्यान में रखेंगे की "cantonment" प्रोडक्ट्स को जाती नहीं समझ आती, समझना भी नहीं चाहते
प्रश्न:
राजाराम क्षत्रिय ( रघुवंशी राजपूत) थे , उनके पुत्र हुए लव और कुश जी
कुशवाहा और कुर्मी दो अलग जातियां हैं राजपूत से
कुशवाहा और कुर्मी अपने को लव और कुश का वंशज मानते हैं यह मुझे राजनीति में पढ़ाया गया है
इसमें कहीं ना कहीं कोई कंफ्यूजन है, विद्वान मुझे कृपया कर समझाएं
ऐसा हो सकता है कि हमारी संस्कृति और सभ्यता इतनी पुरानी है, की बहुत कुछ बीच में हुआ है
जहां चार वर्ण हुआ करते थे वहां 400 जातियां हो गई हैं
क्या ऐसा नहीं लगता कि हमें दोबारा अपने जड़ों को साधना एवं पढ़ना चाहिए
मूल जानना बड़ा कठिन है नदियों का, वीरों का
धनुष छोड़कर और गोत्र क्या होता रणधीरों का ?
पाते हैं सम्मान तपोबल से भूतल पर शूर
" जाति – जाती" का शोर मचाते केवल कायर, क्रूर
रामायण के side effects
ऊपर बैठे लोग धार्मिक पद हो या राजनेतिक पद हो अपने अपने स्वार्थ के लिए उन्होंने भेद बनाए
उदाहरण लालू जी बिहार के मुख्यमंत्री बने रहना चाहते थे और बाजपेयी सरकार उत्तर भारत में अपनी सरकार चाहते थे इसलिए बिहार झारखंड दो राज्य की व्यवस्था की उसी प्रकार धर्म में वर्ण विभाजन अपने अपने सहुलियत के हिसाब से किए
दलित समाज को इस बात का डर है की कही मोदीजी आरक्षण ख़त्म ना कर दे इसलिए वे मोदी का बिरोध करते है, और बात रही जातीय संगठन की तो संगठन केवल हिन्दू का होना चाहिए, सभी जातियों का अलग अलग नहीं |
Aap se bilkul sahmat hai..Sir …Hmko apne jar se jurna hoga