सेकुलरिज्म एक छलावा लगने लगा है
बर्मा के रोहिंगिया जो बुद्ध जैसे शांतिप्रिय लोगो के साथ नहीं एडजस्ट कर पाए उनके लिए हमारे मुसलमानों ने मुंबई का सहीद स्मारक तोड़ दिया
अब हमारे लोग ऐसे कानून का विरोध कर रहे हैं जो अगर आया भी तो उसमें उनका कोई नुकसान नहीं वरन देश का और सबका फायदा हैं
दिल्ली जला दी, अब भी विरोध पे बैठे हैं
मौलाना लोग घूम घूम के जेहाद की तकरीर कर रहे हैं
ऐसे में क्या निरपेक्षता संभव हैं
क्या धर्मनिरपेक्षता सिर्फ हमारा दायित्व है
क्या देश गृह युद्ध की तरफ़ बड़ रहा है ? अगर हां तो क्या परिवार कि सुरक्षा की चिंता गलत हैं ?
Jab tak BABA Sb ka name lene wala is hindustan me jinda he tab tak secularism per bharosa bana he
Bharosa osi ko hota he jise biswas hota he
Rehi bat ROHINGIA Ki to
Islam aman ka pegam deta he
Dilhe kis ne jalaya ye aap bhi jante hen misra KO to jantehi honge?
Birotdh ohi karta he jis KO samidhan per BISWAS he
मुझे ना धर्म की बहस हैं ना राजनीति की, मेरा सवाल सीधा हैं, रोहिंगीय और बांग्लादेशियों के लिए मुझसे बहस क्यों ? दिल्ली में खून खराबा क्यों ? ऐसे में अगर मेरा मन सेकुलरिज्म से उचत जाए या हथियारबंद होने का मन करे तो किसकी गलती ?
सारे अच्छे काम छोड़ के अब करे तैयारी ?
ये सवाल सबके मन में हैं MD MD Imran Reza
Peace
अघोषित_युद्ध की,क्रोनोलॉजी समझिये..
दूसरे राज्यों से रिश्तेदारों को बुलाया गया।
फंड इकट्ठा किया गया।
रणनीति बनाई गई।
कुछ लोगों ने नेतृत्व अपने हाथ मे लिया।
पत्थर इकट्ठे किये गये।
हथियारों को धार दी गई।
बंदूक भी तैयार की गई।
पेट्रोल बम बनाये गये।
तेजाब की थैलियां बनाई गई।
बडी-बडी गुलैल बनाई गई।
एक ही कलर के हेलमेट लाखों की तादात मे खरीदे गये ताकि अपने लोगों मे पहचान रहे,
अपनी दुकानों के No NRC
लिख दिया ताकि इन्हें आगजनी से बचाया जा सके
हिन्दुओ के इलाके चिन्हित किये गये।
हिन्दुओं के घर, दुकानों को चिन्हित किया गया।
रणनीति बनाई गई कि हमला किस तरफ से किया जायेगा।
हमले के बाद किधर से बचकर भागना है।
सोशल मीडिया पर विक्टिम कार्ड खेला जा रहा है।
फिर भाईचारे की नौटंकी शुरू हो गयी है।
फिर अमन की दुआएं मांगी जा रही है।
मीडिया के सामने रोना शुरू हो चुका है।
अर्बन नक्सली मीडिया बचाव काम पर लगी हुई है।
भाईचारा का अर्थ दोनों में प्रेम हो , जब एक कोई शत्रुता की बात करे तो भी हम माफ़ कर दे पर कोई देश के विरुद्ध बात करेगा तो हम नपुंसको की भांति नही देख सकते।ऐसे भाईचारा से मैं कट्टर होना ही पसंद करता हूँ
Nahi sir