MOB LYNCHING :
1) चोर उचक्के को मारने पर पहले तो इतना हंगामा ना होता था, इसमें भी राजनीति आ गई
2) सवाल है की क्या पुलिस और न्यायालय की व्यवस्था की वजह से पब्लिक frustrated हो गई है या विश्वास खत्म हो गया है
3) कहीं ना कहीं खुले में घूमते rapist और murderer & dacoits ने भी घटनाओं में बढ़ोतरी की है, क्योंकि समाज सब देखता है और आवाज उठती है
4) क्या इस तरह से सरकारी अधिकारियों का पिटना, पब्लिक का आक्रोष, पुलिस एवं न्यायिक व्यवस्था का फेल हो ना, सारी चीजें कुछ इशारा नहीं कर रही
5) ऐसे में अगर इसमें भी राजनीति हो जाए तो कुछ बड़ा घटेगा
चेत जाइए,
सिर्फ चंद फिल्में बना देने से और snobbish हो जाने से आपको समाज की पूरी समझ नहीं हो जाती,
बुद्धिजीवी misguide करने वाला शब्द है
मॉब लिंचिंग का पाठ तो सिनेमा ने ही जनता को पढ़ाया है।बोए पेड़ बबूल के आम कहाँ से पाए….
फ़िल्में बनाना वैसे ही है जैसे डॉक्टर के लिए उसका काम या किसान के लिए उसका काम या किसी व्यवसायी के लिये उसका काम । उससे बाहर की दुनिया की समझ का सर्टिफिकेट नही है फिल्म बनाना ।
खाली दिमाग शैतान का। रोजगार, धन, quality education and professional training की कमी। गुरु परम्परा का अभाव , 4 am to 9 am Astha & Sanskar TV channels के प्रवचन आदि क्रायक्रम न देखना, सुनना, समझना। मॉब लिंचिंग on TV news , social media etc. is political propaganda. This is my view.
True
80% cases r framed
अब चोर या हत्या करने आये लोगो का स्वागत पकड़े जाने पर फूलों से करनी है और ये कहते हुए की हे मान्यवर हम पुलिस को खबर कर दिये है , पांच से घण्टा या एक दो दिनों में आ जायेगी तब तक आप चाय कॉफी का आनंद लेते रहे
Agreed with ur point of view.
आज से 45 साल पहले के विद्वानों ने कहा दिया था अगर ब्यूरोक्रेसी की व्यवस्था ऐसी ही रही तो ये दिन आएगा, जब लोग स्वयं न्याय करने लगेंगे। कौन 25 साल केस लड़ेगा।